यूपी के नए डीजीपी के नाम की हुई घोषणा.जानिए कौन हैं आपके नए डीजीपी….

राजीव कृष्ण, आईपीएस (1991 बैच) उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किए गए.राजीव कृष्ण...

यूपी में 5 सीनियर IPS के ट्रांसफर, 2 DIG बदले: चनप्पा गोरखपुर के नए DIG, बस्ती DIG दिनेश कुमार पी दिल्ली जाएंगे।

विज्ञापन योगी सरकार ने 5 सीनियर IPS अफसरों के ट्रांसफर किए हैं। IPS संजीव त्यागी का 18 दिनों में...

UP NEWS : रोहिंग्या परिवार के जाली दस्तावेज बनवाने वाला ग़द्दार पूर्व पार्षद मो शहजादे अरेस्ट,पुलिस ने भेजा जेल।

विज्ञापन उन्नाव -गंगाघाट कोतवाली पुलिस ने रोहिंग्या को पहचान दिलाने में मददगार पूर्व सभासद मो....

यूपी : DGP प्रशान्त कुमार ने बांग्लादेशी व रोहिंग्या की तलाश को लेकर बनाई रणनीति।

विज्ञापन लखनऊ। प्रदेश में पहचान बदलकर रह रहे बांग्लादेशी व रोहिंग्या को हवाला के जरिए भी फंडिंग की...

कानपुर : रोहिंग्या साहिल के करीबियों तक पहुंची पुलिस, 8 साल से घुसपैठ करके अवैध रूप से भारत मे रह रहा है रोहंगिया परिवार

विज्ञापन कानपुर में रोहिंग्या मोहम्मद साहिल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब उसके परिवार के मर्दों को...

अमेरिका के मिलिट्री एक्सपर्ट जॉन स्पेंसर ने कहा है कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए अपने रणनीतिक मकसद को पूरा कर लिया है।

उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन PoK पर कब्जे या फिर पाकिस्तान की सत्ता बदलने की मकसद से नहीं शुरू किया...

Uptvlive पर यूपी की प्रमुख खबरें…

विज्ञापन ➡लखनऊ – लखनऊ में दो गैंग के बीच भयानक गोलीबारी, एक गुट का बदमाश गोली लगने से घायल,...

UP कैबिनेट बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय,10 प्रस्ताव को मिली मंजूरी।

•कुल 10 प्रस्ताव को मंजूरी •ऑपरेशन सिंदूर के सफलता पर कैबिनेट द्वारा अभिनन्दन प्रस्ताव को मंजूरी...

पेशेवर रक्तदाताओं पर प्रभावी अंकुश लगाएं अफसर : सीएम योगी

लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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