कानपुर-उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जहाँ एक ओर वन महोत्सव सप्ताह के अंर्तगत प्रदेश में 25 करोड़ पौधा लगवाने का संकल्प लेकर जगह-जगह पौधा रोपड़ करवा रहे है पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, तो हम स्वस्थ रहेंगे। पर्यावरण को नुकसान से अनेक बीमारियां, मानव जीवन व जीव सृष्टि को त्रस्त करेंगी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए हम सभी को ‘वन है तो जीवन है, जल है तो कल है’ का नारा दिया वही कानपुर में चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौघोगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के अन्दर एक पुराने तालाब के जीणोद्धार के नाम पर 50 से अधिक हरे भरे पेड़ो का काट दिया गया
जिसका शहर के प्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक डॉ हेमन्त मोहन द्वारा कड़ा रोष जताया गया है उनका कहना है कि एक ओर जहाँ मुख्यमंत्री जी प्रदेश में पर्यावरण सप्ताह में दौरान करोड़ो पौधे लगवा रहे है वही तलाब सुंदरीकरण के नाम पर 50 से अधिक हरे पेड़ो को काट दिया गया एक पेड़ तैयार होने में कई वर्ष लगते है प्रदूषणकी समस्या से कानपुर का हर कोई पीड़ित है। लेकिन पेड़-पौधे लगाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता नहीं फैलाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर पेड़ों को काटने का सिलसिला जारी है। जितने पेड़ वर्षों पहले लगाए गए थे,उन्हें भी काटा जा रहा है। पेड़ों के लगातार कटने और वाहनों के बढ़ने से प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि जनजीवन अस्त-व्यस्त होता जा रहा है। इसका अंदाजा लोगों में बढ़ रही सांस की बीमारियों से लगता है। पेड़ कटने से आॅक्सीजन की कमी भी होती जा रही है। पेड़-पौधे लुप्त होने की वजह से हरियाली खत्म हो रही है। सभी लोगों को इस स्लोगन ‘खुशी हो गया गम, पेड लगायें हम’ के साथ एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। अगर हर कोई एक पेड़ लगाने का प्रयास करता है, तो पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
गरीबों को रोजगार दिलाने को बना था तालाब :तालाब का निर्माण वर्ष 1837-38 में अकाल पडऩे पर गरीबों को रोजगार दिलाने के लिए कराया गया था। मजिस्ट्रेट आईसी विल्सन की निगरानी में तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब और उसके चारों तरफ सीढिय़ों का निर्माण कराया गया था। इसमें 12 हजार रुपये की धनराशि व्यय हुई थी। इस काम में कैदियों को भी लगाया गया था।
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