कानपुर। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भले ही जीत का सेहरा सपा की उम्मीदवार नसीम सोलंकी के सिर बंधा हो लेकिन राजनैतिक लड़ाई में वास्तविकता में चुनाव जीता सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने। अपनी कुशल रणनीति और जुझारू तेवरों के चलते अमिताभ विपक्ष के नंबर एक नेता बनकर उभरे और इस चुनाव के सहारे पूरे जिले में अपनी पकड़ बनाने में सफल हुए।
सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने के बाद सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा था। जिसमें भाजपा के टिकट पर छात्र राजनीति से जुड़े सुरेश अवस्थी मैदान में थे तो सपा के टिकट पर इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी चुनाव लड़ रही थी। स्थानीय स्तर पर सपा की तरफ से जाहिरा तौर पर चुनाव की कमान विधायक अमिताभ बाजपेई ने संभाल रखी थी। सपा में रणनीति बनाने का काम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील साजन कर रहे थे, लेकिन जमीन पर अमलीजामा पहनाने का काम विधायक अमिताभ बाजपेई के हाथ में था।
सपा की राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी डीएवी कालेज की छात्र राजनीति से जुड़े थे और अमिताभ बाजपेई पीपीएन डिग्री कालेज की राजनीति से जिसके चलते दोनों के बीच शुरूआत से ही राजनीतिक अदावत थी। इसके अलावा अमिताभ की मुस्लिम मतदाताओं के बीच गहरी पैठ को देखते हुए उन्हें ही पर्दे के पीछे से नसीम के चुनाव की पूरी कमान सौंप रखी गयी थी।
बताया गया है कि पिछले विधानसभा चुनाव में आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से सुरेश अवस्थी व अमिताभ बाजपेई आमने सामने थे जिसमें अमिताभ ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुरेश अवस्थी को पराजित कर लगातार दूसरी बार इस क्षेत्र से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव के बाद कई जगह सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुलाकात के दौरान अमिताभ व सुरेश एक दूसरे पर व्यंगबाड़ छोड़ते रहे। एक बार फिर नसीम के चुनाव को लेकर सुरेश व अमिताभ आमने सामने आये तो अमिताभ ने सुरेश को पराजित करने के लिए अपने चुनाव की तरह रणनीति बनाकर काम किया। सुरेश अवस्थी के पक्ष में डीएवी व डीबीएस कालेज के छात्र नेताओं की बैठक होती रही तो अमिताभ ने पीपीएन व क्राइस्टचर्च कालेज के छात्र नेताओं को अपने साथ जोड़कर सपा का माहौल बनाया।
मामला फजलगंज के व्यापारी टिल्लू गुप्ता की गिरफ्तारी का हो या ग्वालटोली में पूर्व पार्षद दुर्गेश यादव सहित कई युवाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने का अमिताभ बाजपेई ने सपा की तरफ से अगुवाई कर आंदोलन व लिखापढ़ी की। जब टिल्लू गुप्ता की रिहाई हुई तो उसका स्वागत कर अमिताभ ने दर्शनपुरवा व गुमटी क्षेत्र के तमाम मतदाताओं को भाजपा से दूर कर सपा के पक्ष में जोड़ लिया। पूरे उपचुनाव में सपा संगठन की तरफ से ती कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नौशाद को महत्व दिया जा रहा था लेकिन अमिताभ सबसे आगे निकलकर इण्डिया गठबंधन के लोगों में आंदोलन करने के मामले में सबसे आगे निकलकर विपक्ष के नंबर एक नेता की छवि बनाने में सफल हो गये। उपचुनाव के बाद आम लोगों के बीच यह चर्चा होने लगी कि जीत का ताज भले ही नसीम सोलंकी के सिर पर सजा हो लेकिन वास्तव में यह चुनाव विपक्ष का नम्बर एक नेता बनकर अमिताभ बाजपेई ने जीता।
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