पीयूष जैन की जांच को लेकर परोक्ष कर विभाग पूरी तरह से सख्त है और बरामद नकदी से लेकर अन्य सभी चीजों की जांच हर पहलू को ध्यान में रखकर की जा रही है। पढ़ें डीजीजीआई का पूरा बयान…
कारोबारी पीयूष जैन की जांच को लेकर परोक्ष कर विभाग पूरी तरह से सख्त है और बरामद नकदी से लेकर अन्य सभी चीजों की जांच हर पहलू को ध्यान में रखकर की जा रही है। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) के मुताबिक जैन के ठिकानों से बरामद नकदी को जैन के कारोबार का टर्नओवर नहीं माना जा रहा है और अभी जैन पर टैक्स की देनदारी का भी निर्धारण नहीं किया गया है।
डीजीजीआई के मुताबिक जैन के ठिकानों से जो नकद बरामद की गई है उसे मामले से जुड़ी नकदी के रूप में आगे की जांच के लिए स्टेट बैंक में सुरक्षित रखा गया है। वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली डीजीजीआई के मुताबिक जैन के खिलाफ विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर प्रोफेशन तरीके से जांच जारी है और ऐसे में जैन से बरामद नकदी को उसके टर्नओवर का हिस्सा नहीं माना जा सकता है।
जैन पर टैक्स देनदारी भी जांच के बाद ही निर्धारित होगी और जैन की तरफ से टैक्स के नाम पर कोई राशि जमा नहीं की गई है। जीएसटी विभाग की तरफ से बताया गया कि जैन की तरफ से दी गई स्वैच्छिक जानकारी जांच का विषय है और जब्त नकदी के स्त्रोत की पुष्टि और जांच के दौरान पाए जाने वाले सबूत व अन्य चीजों के मूल्यांकन के बाद ही जैन की कंपनी या इस मामले में जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ टैक्स देनदारी का निर्धारण किया जा सकेगा।
डीजीजीआई के मुताबिक जैन की कंपनी ओडोकेम इंडस्ट्रीज से जुड़े तलाशी अभियान के दौरान 197.49 करोड़ रुपए नकद, 23 किलोग्राम सोना और कुछ अन्य बहुमूल्य सामान बरामद हुए। तलाशी के दौरान पाए गए सबूत व जैन के कबूलनामा के आधार पर जैन को गत 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन उसे अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया।
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