कानपुर-ऐतिहासिक गंगा मेला में बुधवार को सरसैया घाट में लगे कानपुर जर्नलिस्ट क्लब के कैम्प में संस्कृति, संस्कार और सौहार्द का सैलाब उमड़ा। जाति, धर्म, उम्र, गोत्र, छोटे-बड़े का बंधन टूट गया। सभी ने एक-दूसरे के गले मिल कर होली की बधाई दी। क्रांतिवीरों, उद्यमियों की नगरी की आस्था, विश्वास और प्रेम की अनूठी परंपरा की त्रिवेणी में हर भक्त ने जीभर डुबकी लगाए। शहर भर में रंग बरसने के बाद शाम 4 बजे से सरसैया घाट किनारे की रौनक बढने लगी। आधा घंटे में ही मेले में दूर-दूर तक महिला, पुरुष और बच्चे नजर आए। आम हो या खास सब एक-दूसरे के देखते ही पहले बधाई देने की होड़ में लग गए। सड़क के दोनों ओर सभी समाज, जाति, धर्म से जुड़े संगठन के शिविर में जुटे लोग चंदन व गुलाल लगाकर स्वागत करते नजर आए तो व्यापारी, राजनीतिक या अन्य संगठन के शिविरों में गुझिया, गुलाल और ठंडाई के साथ मेला देखने आने वालों का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
जर्नलिस्ट क्लब के कैंप में अध्यक्ष ओम बाबू मिश्रा और महामंत्री अभय त्रिपाठी ने गुलाल से टीका लगाकर सभी का स्वागत किया, कैम्प में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारों का तांता लगा रहा। जिसमें प्रमुख रूप से सांसद सत्यदेव पचौरी, महापौर प्रमिला पाण्डेय, एमएलसी सलिल विश्नोई, विधायक नीलिमा कटियार, विधायक सुरेंद्र मैथानी, विधायक इरफान सोलंकी, विधायक अमिताभ बाजपेयी, विधायक मो हसन रूमी, विधायक अभिजीत सिंह साँगा, एमएलसी अरुण पाठक, विधायक सरोज कुरील, पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी, विधायक प्रतिभा शुक्ला, विक्की छाबड़ा, भाजपा नेत्री विभा दुबे, वरिष्ठ पत्रकार कुमार त्रिपाठी, विक्की रघुवंशी, तरूण अग्निहोत्री, रवि पाल, जीपी अवस्थी, राजन साहू, जसवीर दीवान, संजय अग्रवाल, नीरज तिवारी, दिलीप अंशवानी, अक्षरांश चतुर्वेदी, वीरेंद्र पाल, विशाल सैनी, अंकित अग्निहोत्री, राजन शुक्ला, जीशान खान समेत भारी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे।
बताते चलें कि कानपुर में गंगा मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है। कहते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन चरम सीमा पर था। सन् 1942 में ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन जिलाधिकारी कानपुर में होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
हटिया के नव युवकों ने तय किया कि यह हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे हम पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे। देश आजाद हुआ सन् 1947 में लेकिन कानपुर के हटिया में आजादी का झंडा 1942 की होली में ही फहरा दिया गया था। जब शहरवासियों ने होली खेलनी शुरू की तो तत्कालीन शहर कोतवाल ने हटिया पार्क को चारों तरफ से घेर लिया और नवयुवकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
इस प्रतिक्रिया में पूरे शहर में भयंकर होली खेली गई और ऐलान किया गया कि जब तक नवयुवक छोड़े नहीं जाएंगे तब तक निरंतर होली खेली जाएगी। जिस दिन नवयुवक छोड़े गए उस दिन अनुराधा नक्षत्र था। जिस कारण अब हर साल अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेला मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा मेला की 81 वर्षगांठ मनाई गई।
Recent Comments